बुद -बुद..........
"बुद-बुद पानी बर्से
मन्वा लागे मोरे तर्से....2
लहेरा के बल खाके
जब हवाके झोखा रे बहल
"उडे लागल मोरे चुनरिया हाय..2
"बर्खा के पानि जो तनके छुए
चलते चलते रहिया मे काटा चुभे..2
चारो ओर खेतवा मे हरियर दिखे
कहु पानी परे कहु बादल गर्जे
अइसन मन होगैल बा अबतो मगन......
हुम बुद-बुद पानी बर्से
मन्वा लागे मोरे तर्से
लहेरा के बल खाके
जब हवाके झोखा रे बहल
"उडे लागल मोरे चुनरिया हाय..2
चल सखिया अब नाचे गाय
इहे हो उमर रमाएके
वाद मे आए न आए
"चल सखिया अब नाचे गाय
इहे हो उमर रमाएके
वाद मे आए न आए-2
हो हो हो ल ल ला ल हुम हुम हुम
"जोबना के हम सावारु
रहे-रहेके हरदम निहारु...2
चनचल मन होगैल बा
कैसे के मैइ अब सम्हालु.....
छागैल बा अब खुसिया बाहार के....
"बुद-बुद पानी बर्से
मन्वा लागे मोरे तर्से
लहेरा के बल खाके
जब हवाके झोखा रे बहल
"उडे लागल मोरे चुनरिया हाय..2